Friday 15 May 2020

हमेशा सकारात्मक कैसे रहें?

आजकल की रोजमर्रा की ज़िन्दगी में परेशानियों को देखते हुए दिमाग में नकारात्मक बातों का आना एक आम बात सी हो गयी है। ना चाहते हुए भी लोग सोंचते हुए इस दिशा चल पड़ते है और बहुत ही दूर तक चले जाते है। परेशानियों का सबब इतना बन चुका हैं कि एक नन्ही सी जान अपने कंधो पर न जाने कितना वजन ढ़ोती है। एक छोटी बात पर ही हताश हो जाना इस बात कि निशानी हैं कि आप भी खामोशियो के गर्त में समाएं जा रहें हैं।



हंसना तो एक मजबूरी बन गयी हैं और दिल, दिमाग़ में दर्द दबाना एक शान!

जब इंसान की चुनिंदे मुरादें और वो भी पूरी ना हो अथवा कुछ ऐसे सपने जो आपको सोने ना देते थे लेकिन वो सपने आपकी खुली आँखों के सामने चकनाचूर हो गए, किसी की एक छोटी सी फरमाइश जो आप के जीने का सहारा बन गयी। परिवार के लालन पालन के लिए आपकी पूरी मेहनत के फ़ल कम पड़ गए, दौड़े तो सब एक साथ थे लेकिन आप पीछे कैसे रह गए? हमारे वो जिनकी गिनती हमारे अपनों में होती है मगर उनकी आँखें हमारी ख्वाईशों को संजो ना सकी। जवानी के दिनों से अब तक कमर बूढ़ी हो चुकी। नकारात्मक बातें तो शरीर के अंग की तरह शरीर का हिस्सा हो चुकी और जिस अंग की जरुरत ना रही उसकी आदत भी छूट चुकी। कभी कभी ख्याल आता है कि ज़िन्दगी के वो साल वापस आ जाते यक़ीन मानिये कि अब तो हम कुछ नया ही कर जाते। भागदौड़ की उलझनों के बीच अपने और अपनों के लिए कुछ खास समय ना रहा पता ही नहीं चला कब एक छोटा सा सिरदर्द माईग्रेन में बदल गया। इंसान के साथ जब ऐसा हकीकत में होता हैं, इंसान के दिलों दिमाग़ में जब ऐसे ख्याल आते हैं तब लगता हैं कि नकारात्मक बातों का आना जायज ही हैं। जब इंसान को एक बुरी लत लग जाती है तो तब उसे वही चीज़ अच्छी लगने लगती हैं जो दूसरों के लिए खराब हो। अँधेरे में रहने वाले व्यक्ति ने बाहर निकलने के दरवाजे तो उसने अंदर से खुद ही बंद कर दिए फिर बाहर से उम्मीद की रौशनी कैसे आएगी जो आपकी ज़िन्दगी को फिर से पहले जैसा रोशन कर दे। ऐसी परिस्थितियों में आपको सबसे ज्यादा जरूरत आपको खुद की हैं क्यूंकि जब तक आप अपनी मदद खुद नहीं करेंगे जब तक आपकी मदद कोई नहीं करेगा। हर इंसान एक दूसरे इंसान का केवल और केवल माध्यम है जबकि कर्त्ता आप खुद। जो अपनी मदद खुद करता है ईश्वर उसकी मदद करता हैं।

आप अपनी मदद स्वयं कैसे कर सकते हैं?.............................
एक कांच का गिलास पानी से आधा भरा हुआ हैं कुछ लोगों का मानना हैं कि यह आधा ख़ाली हैं और कुछ का मानना हैं कि आधा भरा हुआ। ठीक इसी तरह आप के अंदर भी नकारात्मक विचारों कि तरह सकारात्मक विचार भी हैं। आपको बस जरूरत हैं अपने आप को पहचानने की और एक सही मार्गदर्शन(गाइडेंस)की। जो हो गया उसे भूल जाये और अपने आने वाले कल के बारे में सोंचे। किसी इंसान के भरोसे न रहे, कुछ बकाया(पेंडिंग)काम हैं उसे खुद ही करें और जो भी तैयारी करनी है उसे भी खुद ही करने के बारे में सोंचे क्यूंकि अभी तक आप दूसरों के ही भरोसे पर ही थे। किसी भी काम को पूरी ईमानदारी और मेहनत के साथ करें ताकि एक सुखद परिणाम की प्राप्ति हो। आज का काम कल पर ना छोड़ें कल किसी का भी नहीं आता। धूम्रपान, नशीली चीज़ो और अन्य गन्दी आदत अभी से छोड़ दे। दूसरों की तरह आप भी बहुत ही खूबसूरत हो अपने आपको और अपने शरीर को हीन भावना से देखना त्याग दे और अपने आप से प्यार करना आरम्भ कर दे। कोई कोई इंसान अपनी बिमारियों की वजह से हमेशा नकारात्मक सोंचता हैं कि वो शायद कभी भी ठीक नहीं हो पायेगा उसकी यह ज़िन्दगी बीमारी से लड़ते लड़ते ही खत्म हो जाएगी। ऐसी बातें अगर आपके दिमाग़ में घर कर गयी है तो अपने अन्तर्रात्मा की सुनें, ईश्वर से प्रार्थना करें की वो आपको जल्दी ठीक कर दे, प्रार्थना में बहुत ताकत हैं आस्था में बहुत शक्ति हैं। कुछ चीज़े इंसान की सोंच और समझ से परे होती हैं इसलिए कुछ चीज़ो के बारे में ज्यादा सोंचना और विचार करना छोड़ दे। कुछ चीज़ों को समय और हालातों पर छोड़ दे। कुछ अनोखी बातों का जवाब सही समय पर ही मिलता हैं। पवित्र पुस्तक गीता के अनुसार, "कर्म प्रधान हैं' लेकिन आप स्वयं भगवान या कोई महाशक्ति भी नहीं हैं इसलिए किस्मत की कुछ बातों को स्वीकार कर ले तो जीना आसान हो जायेगा। ईश्वर के कुछ नियम सभी पर लागू होते हैं। सुख, दुःख, ख़ुशी, मुसीबत, संघर्ष, प्रतियोगिता, जीना, मरना, अपना, पराया, हार, जीत, बचपन, बुढ़ापा आदि का चक्र चलता रहता हैं। ईश्वरीय और चमत्कारी शक्तियां बार बार जन्म लेकर लोगों को जीने का सलीका समझाती हैं कि आप संघर्ष और जीने के मामले में अकेले नहीं हैं। मुसीबतों का सामना सभी को करना पड़ता हैं, किसी को कम तो किसी को ज्यादा। कोई भी व्यक्ति सर्वगुण संपन्न नहीं हैं। ईश्वर के लिए सभी बराबर हैं और ईश्वर ने सभी को बराबर की ही ताकत दी हैं इसलिए कम मत आंको खुद पर विश्वास करों। 

कुछ अन्य विकल्प!…………………………ज़िन्दगी अनमोल हैं इसे यु हीं बर्बाद ना करें। नित्य दिन ईश्वर की पूजा करें और आशीर्वाद मांगे कि आप दिल और दिमाग़ से मजबूत बने। ज़िन्दगी जीने का कोई उद्देशय बना ले, आपको हर हाल में जीना और यह काम करना ही हैं। कुछ लोग केवल सोते रहते हैं तो कुछ खाते तो कुछ खेलते ही रहते हैं और बाद में पछताने के अलावा कुछ हाथ नहीं लगता। अच्छी दिनचर्या आपकी ज़िन्दगी को बेहतर और सुगम बनाती हैं। समय पर किये गए काम से परिणाम भी अच्छा मिलता हैं और सिरदर्द, तनाव से भी मुक्ति मिलती हैं। अपने समय का सदुपयोग पेंटिंग, कुकिंग, सिलाई, फोटोग्राफी, लेखन, यात्रा आदि अपने शौकों को पूरा करने में लगा दे और एक नयी ख़ुशी का अनुभव करें। रोज कसरत, व्यायाम और योग करें। छोटे बच्चों से दोस्ती करें उनके साथ खेलें। खूब हँसे और हास्यपद बातों पर दूसरों को भी हसायें। अपने लिए समय निकाले और उस समय में आनंद ले। वर्तमान ही सबकुछ हैं ये मानकर आज में जियें। स्वास्थयवर्धक और पौष्टिक भोजन करें खाने में अच्छी गुणवत्ता, शुद्ध और साफ़ चीज़ो का ही प्रयोग करें जो प्राकृतिक भी हो। इंसान की कुछ ऐसी इच्छाएं जो प्राकृतिक के ख़िलाफ लेकिन आपके लिए सही हो, पूरी ना होने पर निराश ना होये बल्कि संतुष्टि रखें क्यूंकि जो चीज़े पहले असंभव लगती थी वो बाद में संभव हो गई। इंसान एक वो विद्यार्थी हैं जो हमेशा सीखता हैं, सीखना बंद तो जीना बंद। प्रेरक(मोटिवेशनल)अच्छी और धार्मिक पुस्तकें पढ़ें। पुस्तकों से दोस्ती करें क्यूंकि वो ना तो वो शिकायतें करती हैं और ना ही नाराज़ होती हैं। ज्ञान अर्जित करें।

खुशियां बाँटने से ही बढ़ती है तो खुशियां बाटें कंजूसी ना करें। प्यार और मीठी मुस्कान के साथ बात करें क्यूंकि प्यार की जरूरत दूसरों से ज्यादा आपको हैं। दूसरों की इज़्ज़त करें और इज़्ज़त पाएं। बिना मतलब की सिरदर्दी मोल ना लें। बचपन के उन दिनों को याद करें जब आप खुश होते थे उन पलों को फिर से जियें, बुरी बातों को दिमाग़ से निकाल दे। ज़िन्दगी में खुश होना बहुत ही जरुरी हैं। जब हम अपने रोज़मर्रा के काम रोज़ करते है तो ख़ुशी भी तो आपकी रोज़ की ज़िन्दगी का ही हिस्सा है। किसी बड़ी ख़ुशी के इंतज़ार में हम खुशियों के छोटे छोटे पल खो देते हैं, बड़ी ख़ुशी के मौके बहुत कम होते हैं और ये छोटी छोटी खुशियाँ जो हज़ारों में होती हैं, से वंचित हो जाते हैं। विद्वान, गुणी व मार्गदर्शक लोगों से मित्रता करें। महान लोगों की जीवनी पढ़ें। सादगी भरी जिंदगी जिए, कुछ उसूलों का पालन करें। अपनी परेशानी के बारें में परिवार के लोगों, दोस्तों, गुरु, रिश्तेदारों से बात करें कि आप किन मुसीबतों से गुजर रहे हैं। एक अच्छे सलाहकार, डॉक्टर, मनोचिकित्सक से सलाह ले उन्हें खुलकर अपनी के बारें में समस्या बताएं। पाखंडी और ढोंगी लोगों से बचें। ऐसी ही कुछ बातों को अपनाकर आप नकारात्मक बातों को अपने मस्तिष्क से निकाल बाहर फेंकेंगे और एक अच्छी और सुकून भरी ज़िन्दगी जियेंगे। ज़िन्दगी जीना भी एक कला हैं, जो इस कला में निपुण हो जाता हैं वह अच्छी व सुखमय ज़िन्दगी जीता है।

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