Tuesday 2 March 2021

उड़ान !

उड़ने वाली चीज़ शुरू से ही मानव के आकर्षण का केंद्र रही हैं, कभी उसने किसी पौराणिक कहानी तो कभी उसने किसी साहित्य अथवा किसी धार्मिक पुस्तक में ही उड़ने वाली चीज़ो के बारे में पढ़ा होगा या सुना तो अवश्य ही होगा। आपने 'विमान' शब्द को सुना ही होगा इसके अलावा आपने 'जादुई दरी'(Flying Carpet) के बारे में सुना होगा। यह चीज़े उस समय में आज के समय के 'हवाई जहाज' अथवा उड़ने वाली कोई वस्तु होगी। जिसमे बैठकर इंसान एक जगह से दूसरी जगह बड़ी ही आसानी से जा सकता था। वो चीज़े दुर्लभ और बहुत ही उपयोगी थी जिससे इंसान 'हवाई भ्रमण' कर सकता था। समय के साथ साथ इंसान ने उन रहस्मयी चीज़ों का ज्ञान खो दिया। आज हमें वो वस्तुयें केवल इतिहास में ही पढ़ने को मिलती है। आप मात्र कल्पना ही करके देखें कि उस वक्त के इंसान ने ऐसी चीज़ो पर विजयी प्राप्त करके अपने आप को  कितना गर्वित महसूस किया होगा।

उड़ान
उड़ान

 

फिर वही सपना जागा।………………………………………………………………….उस समय के निकल जाने के बाद फिर से एक नयी सदी आरम्भ हुई और इंसान फिर से ही उड़ने के ख्वाब को देखने लगा मगर एक नए ही रूप मे। यह सदी एक यांत्रिक(Mechanical)सदी थी शुरू से ही प्रयोगो, क्रियाओं, नए आविष्कार के पीछे इंसान पूरी मेहनत से लग गया। पशुओ की जगह यंत्रो (Machines) ने ले ली। नए नए आविष्कार के बाद बड़ी मात्रा में उत्पादन की प्रक्रिया आरम्भ हो चुकी थी मगर उड़ने का सपना अभी भी अधूरा था। अब इंसान बटन दबाते ही अपने मन पसंद कार्य को अंजाम दे सकता था सभी चीज़े जो काल्पनिक मगर हकीकत साबित हो रही थी। इसी बीच बेंजामिन फ्रेंक्लिन फिर थॉमस एडिसन के बाद निकोला टेस्ला ने बिजली के आविष्कार को आगे बढ़ाया। बिजली के आविष्कार के बाद मानों जैसे दोनों हाथों में पूरी जान आ गयी क्यूंकि रही सही कसर भी पूरी हो चुकी थी। सभी जगह विकास की नयी नयी लकीरें खींची जा रही थी। इंसान ने मानों जैसे पूरी कायनात पर विजय पा ली हो लेकिन पीछे मुड़कर देखने पर उसे अब भी कुछ चीज़ो की कमी खलती थी, धरती के बाद अब आसमां को जीतने की बारी थी मगर हाथ ख़ाली थे। पक्षियों को हवा में उड़ता देख इंसान ने उसके जैसी चीज़े बनानी आरम्भ का। चीन में ईसा पूर्व से पतंग उड़ाने की परम्परा शामिल थी, धीरे धीरे यह परम्परा चीन से लेकर एशिया के दूसरे देशों में पहुंची। कुछ इतिहासकारो का मानना है कि पतंग की शुरुआत यूनान से हुई मगर इस पतंग के शौक ने इंसानी जीवन में कुछ आविष्कारों के प्रयोगो को आसान बना दिया। सैन्य उपकरणों से लेकर विज्ञान के दूसरे प्रयोगो में भी पतंग का प्रयोग हुआ हैं जिनमे बेंजामिन फ्रेंक्लिन द्वारा आसमानी बिजली को जांचना और नियाग्रा फाल्स सस्पेंशन ब्रिज प्रमुख हैं। उड़ने का सपना अभी भी ज्यों का त्यों था कुछ चीज़े बदल रही थी मगर उड़ना अभी भी बाकि था। चूँकि 'उड़ान' नामक एक नए अध्याय की शुरुआत हो चुकी थी। जिज्ञासावश मन से मानव ने ना जाने कितने ही प्रयोगो के बाद नए नए आविष्कारों को जन्म दिया। पतंग, बम्बू कॉप्टर, गुब्बारें, गर्म हवा के गुब्बारें, डिरिजिबल गुब्बारें, एयरशिप, कन्ट्रोएबल एयरशिप, पैराशूट, हेलीकाप्टर, एयरप्लेन, वोइसिन बायप्लेन आदि। इंजीनियरों, वैज्ञानकों और खोजकर्ताओं ने समय के साथ साथ अपनी  पहली उड़ान की एक सफल यात्रा के लिए पुरे विश्व के इंसानो के सामने अपनी अपनी उपलब्धियों को प्रस्तुत किया। उड़ने वाली मशीनों की कहानी तो 16 से लेकर 18 शताब्दी तक बहुत ही गंभीर तरीके से लिखी जा रही थी। अलग अलग देशों के वैज्ञानिक अपना अपना योगदान दे रहे थे जिनमे लियनार्डो द विन्ची, गेलीलिओ गैलिली, क्रिस्टियान हुय्गेंस, आइजैक न्यूटन प्रमुख थे। जर्मन इंजीनियर ओटो लिलिएनथल ने सन 1895 में लिलिएनथल ग्लाइडर का संचालन किया, 1895 में एक ही भारतीय विद्वान् शिवकर बापूजी तलपड़े ने भी अपने विमान 'मरुतसखा' का परीक्षण किया जो कामयाब भी रहा। महादेव गोविन्द रानाडे, सयाजीराव गायकवाड़ तृतीय की मौजूदगी में इस विमान ने 1500 फ़ीट की सफल उड़ान भरी थी। मगर पेटेंट ना करवाने के कारण उनका नाम इतिहास के पन्नो से गायब ही हो चुका हैं, कुछ लोगों का मानना हैं की उनके साथ छल हुआ हैं जो कहीं ना कहीं सच भी है। उगते सूरज को सभी सलाम करते हैं आगे कुछ ऐसा ही होने वाला था।      
उड़ान, उड़ने का एक सपना, राइट ब्रदर्स विमान पर बैठे हुए
राइट ब्रदर्स विमान पर बैठे हुए 

पक्षियों को उड़ता देख और अपने माँ से किये गए वादे को पूरा करने का जोखिम तो सिर्फ राइट् ब्रदर्स के पास ही था। कुछ साक्ष्यों की मानें तो राइट ब्रदर्स ने कभी प्रिंटिंग प्रेस का व्यापार अथवा खुद की प्रिंटिंग प्रेस में अख़बार छापकर बाटें फिर उन्होंने एक साइकिल मरम्मत/रिपेयर की दुकान खोल ली। धीरे धीरे उनकी आर्थिक स्थिति ठीक होने लगी और अपने प्रयोगों को जारी रखते गए। रोज़ नए नए प्रयोग के बारे में सिंद्धांत लिखे गए। एक सुनहरे सपने की कहानी उनके कलम द्वारा लिखी जानी थी। प्रिंटिंग प्रेस और साइकिल की तकनीकी जानकारी के कारण उन्हें हवा की दिशा, दबाव, गति, भार आदि की महत्वपूर्ण जानकारी मिली जिससे वायुयान बनाने में आसानी हुई। ब्रिटिश रॉयल अकादमी ने 1895 में कहा था कि कोई भी हवा में उड़ने वाली मशीन बनाना असंभव है लेकिन 1895 में कुछ गिने चुनें लोगों ने हवाई मशीन बनाकर इस काम को संभव कर दिखाया। मगर अभी तक ये मशीने पूरी तरह से ना तो कामयाब थी और ना ही पूरी तरह से नियंत्रित, कुछ खामियों को अभी दूर किया जाना था। दिन रात और खून पसीने की मेहनत लगातार रंग लाये जा रही थी लेकिन अभी भी कुछ गहरे रंग आने बाकि थे। अब थोड़ा समय को आगे लेकर चलते हैं कई प्रयोग अभी होने थे। 

राइट ब्रदर्स के साहस को शुरू से शुरू करते हैं। जब तक कि सफल विमान ना बन जाये 1898 से लेकर 1902 उन्होंने पतंग से कई परीक्षण किये। कई परीक्षण और असफलताओं के बाद वो दिन आखिर आ ही गया जो इतिहास के सुनहरे अक्षरों में लिखा जाना बाकि था। स्मिथसोनियन इंस्टीटूशन और फ़ेडेरेशन ऐरोनॉटिके इंटरनेशनेल (FAI ) के अनुसार पहली सफल उड़ान उतरी कैरोलिना ( North Carolina ) में 17 दिसंबर 1903 को भरी। तटीय जीवन रक्षक दल (Coastal Lifesaving Crewmen ) के 3 सदस्य, 1 स्थानीय व्यापारी और 1 गांव का लड़का इस ऐतिहासिक उड़ान को देखने के गवाह बने। राइट ब्रदर्स अब अमीर और मशहूर व्यक्ति बन चुके थे। अपने और अपनी माँ के सपने को उन्होंने पूरा कर ही दिया था।  अमेरिका ने डाक टिकट बनाकर अमेरिकी और दुनियाँ के इतिहास में राइट ब्रदर्स को हमेशा के लिए अमर कर दिया। राइट ब्रदर्स ने अपने सपनों के साथ साथ हर व्यक्ति का उड़ने के सपने को एक साकार रूप दिया जिसका जिक्र उड़ते उड़ान के साथ हमेशा किया जायेगा।  

मंज़िल उन्हीं को मिलती हैं जिनके सपनों में जान होती हैं
पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती हैं।।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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